
Traditional chinese historiography
परम्परागत चीनी इतिहास लेखन
Traditional chinese historiography
उत्तर – चीन में इतिहास लेखन की शुरुआत ईसा पूर्व पहली शताब्दी में हो चुकी थी | प्रारंभ से ही चीन में सांस्कृतिक रूप से इतिहास लेखन का कार्य होता आया है | चीन में इतिहास लेखन का कार्य आम बोलचाल की भाषा में किया गया | चीनी इतिहासकार को बड़ी सम्मान की दृष्टि से देखते थे | प्रोफेसर लातुरेत ने लिखा है कि भत के लोगों की तुलना में चीन के लोग इतिहास के विषय में ज्यादा जागरूक थे | विस्तृत चीनी इतिहास लेखन के विषय में गार्डनर चाइल्ड लिखते हैं कि किसी भी अन्य प्राचीन देश के पास इतना विशाल, इतना अविरल और इतना सटीक दस्तावेज नहीं है | सु-मा-श्येन को पूर्व के इतिहास का जनक माना जाता है |
चीन के परम्परागत इतिहास लेखन का एक विशेष गुण वस्तुपरकता व सत्यता है | समाचिएन के समय से ही तथ्यों की प्रमाणिकता पर विशेष जोर दिया गया है | समाचिएन ने इतिहास लेखन में औपचारिकता और दृढ़ शैली को छोड़कर जीवंत रूप में तथ्यों को प्रस्तुत किया है | उसके पश्चात चीन के अनेक इतिहासकारों ने उसका अनुसरण किया | चीन के इतिहासकार वान गु ने समाचिएन के विषय में लिखा है कि वे प्रवचन शब्दाडंबर के बिना और सहज होकर करते थे | उनका लेखन अत्यधिक स्पष्ट था | उनके लेखन में तथ्य बोलते हैं | वह न तो सौंदर्य को झूठलाते हैं और ना ही बुराई को छुपाते हैं इसलिए उन्हें एक सच्चा दस्तावेज कहा जा सकता है |
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समाचिएन के बाद के चीन इतिहासकार उससे बहुत अधिक प्रभावित है इसलिए वह तथ्यों को जितना हो सके उतना वस्तु के तरीके से प्रस्तुत करना चाहते थे पक्षियों में सत्यता होनी चाहिए इस बात को ध्यान में रखकर वह लेखन कार्य करते थे यही कारण है कि कई बार इतिहासकार विषय को अपने शब्दों में लिखने की बजाय सामग्री के अंश जैसे-तैसे उतार लेते थे इसे चीन के इतिहास में साहित्य चोरी का नाम ना देकर ऐतिहासिक पुनर्निर्माण का सबसे सरल तरीका कहा गया |
परम्परागत चीनी इतिहास लेखन लेखन में अधिकारियों का योगदान महत्वपूर्ण है चीन में प्रारंभ से ही व्यक्तिगत रूप से इतिहासकार लेखन का कार्य करते आए हैं परंतु उन्होंने कभी भी राजकीय लेखन को चुनौती नहीं दी इतिहास लेखन का कार्य इस समय सबसे अधिक सरकारी दस्तावेजों को लेकर हुआ क्योंकि उन्हें यह दस्तावेज आसानी से उपलब्ध हो जाया करते थे |
चीनी इतिहास लेखन ने अतीत के माध्यम से वतर्मान शासकों का मार्गदर्शन करना उनका एक उद्देश्य था | अत: वर्तमान शासन में उपजी समस्या का समाधान अतीत के पन्नों को खोलकर किया जाना चाहिए, ऐसा करने से यह पता चलता है कि जब हमारे पूर्वजों के समय यह समस्या उत्पन्न हुई थी , तो उसका समाधान उन्होंने किस प्रकार किया था | अतः चीनी इतिहास लेखन के अनुसार अतीत में हुए विद्वान, महान दार्शनिक, गौरवशाली शासक, कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों से कुछ भी सीखा जा सकता है |
प्रारंभ में पारंपरिक चीनी इतिहासकारों ने जो लेखन का कार्य किया, वह बड़ा ही जटिल था | इसका कारण यह था कि इतिहासकारों ने ग्रंथों के खंडो व उपखंडों को एक से नाम दिए थे | इससे किसी भी विषय के बारे में अध्ययन में कठिनाई होती थी | परंतु परवर्ती इतिहासकारों ने इस समस्या का समाधान कर दिया | अतः आज कोई भी व्यक्ति जो चीन के विषय में अध्ययन करना चाहे, वह किसी संस्था के बारे में हो या किसी अधिकारी या शासक के विषय में हो, उसे आसानी से ढूंढा जा सकता है |