बहुसंस्कृतिवाद क्या है ( What is Multiculturalism)
बहुसंस्कृतिवाद (Multiculturalism) :- विश्व में अनेक देशों में विभिन्न जाति धर्म तथा संस्कृतियों के मानने वाले लोग रहते हैं | लोकतंत्र के दायरे में इतने विभिन्न समुदायों के लोगों से कैसे समान रूप से व्यवहार किया जा सकता है ? यही प्रश्न है जो कि बहुसंस्कृतिवाद करता है और उसका उत्तर देने का प्रयत्न करता है | बहुसंस्कृतिवाद इस तथ्य से शुरु करता है कि प्रजातंत्र के भीतर समान नागरिक तथा राजनीतिक अधिकारों को प्रदान करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, लेकिन उन्होंने समाज में भेदभाव के मुद्दों पर पर्याप्त विचार नहीं किया है | हाशिये पर स्थित अल्पसंख्यकों जैसे समुदायों को प्रजातांत्रिक राष्ट्र- राज्य के भीतर भी नुकसान में रहना पड़ता है | पश्चिम के भी सर्वाधिक विकसित राज्य में संस्कृति पर आधारित भेदभाव अस्तित्व में आया है और उसका निदान सभी व्यक्तियों को नागरिकों के रूप में समान अधिकार देने मात्र से नहीं होगा | इसकी बजाय हमें विशेष आयोजनों के निर्धारण करने की आवश्यकता है, जो सार्वजनिक क्षेत्र में अल्पसंख्यक सभ्यता को जीवित तथा विकसित करने की व्यवस्था कर सकें |
गैर – विभेदीकरण का आदर्श –
बहुसांस्कृतिकवाद (Multiculturalism) का उद्देश्य विभिन्न समुदायों में भेदभाव को कम करना है | यह गैर – विभेदीकरण का आदर्श कहलाता है | लोकतंत्रीकरण की प्रक्रिया के साथ विभिन्न देशों ने धर्म, लिंग, जाति तथा रंगभेद के अंतर को दूर करने का प्रयास किया | परंतु सांस्कृतिक पहचान इससे अछूती रह गई | बहुसंस्कृतिवाद मानता है कि सांस्कृतिक पहचानें भी विभेद का एक कारण हो सकती है | अत: यह राज्य के निर्बल अल्पसंख्यक सांस्कृतिक समुदायों के भेदभावपूर्ण जीवन की ओर सबका ध्यान आकर्षित करता है तथा गैर -विभेदीकरण के आदर्श को प्राप्त करने के लिए परंपराओं में पुन: विचार का आह्वान करता है |
Multiculturalism kya hota hai
सांस्कृतिक विविधता का संरक्षण-
बहुसंस्कृतिवाद (Multiculturalism) उदारवादी लोकतांत्रिक राज्यों में सांस्कृतिक विविधता को बढ़ाने वाली नीतियों की मांग करता है, क्योंकि इसका प्रमुख तत्व सांस्कृतिक विविधता को प्रोत्साहन एवं संरक्षण देना है, जिसको पाने के दो प्रयोजन है : पहला, अल्पसंख्यक भेदभाव न्यूनतम हो | दूसरा, अल्पसंख्यक संस्कृति के बचाव व विकास की दशाएं बने | बहुसांस्कृतिकवाद सिद्धांतवादी उदारवादी राष्ट्रवादी नीतियों को हानि पहुंचाने वाली मानते हैं, क्योंकि अल्पसंख्यक समूहों को बहुमत की संस्कृति अपनाने पर बल देती है | अल्पसंख्यकों की संस्कृति की रक्षा होनी चाहिए, जिससे सांस्कृतिक विविधता बनी रहे | साथ ही समाज की समृद्ध बहुलता की भी रक्षा | समाज में विभिन्न संस्कृतियाँ व्यक्ति को स्वयं को जानने की योग्यता प्रदान करती है | ये हमारे जीवन को समृद्ध बनाती है | विभिन्न संस्कृतियाँ, विभिन्न सोच तथा अनुभव प्रदान करती है | कोई एक संस्कृति मानवीय क्षमताओं के केवल एक रूप को स्पष्टत: समझा सकती है, संपूर्ण परिधि को नहीं | अतः विभिन्न संस्कृतियाँ एक सम्मिलित रूप में समाज को समृद्ध बनाती है |
Bahusanskritiwad kya hai
बहुसंस्कृतिवाद संस्कृति की विविधता को उत्तम मानते हुए उसका प्रोत्साहन एवं संरक्षण चाहता है | इसकी सबसे बड़ी समस्या अल्पसंख्यकों की संस्कृतियों का भविष्य है, जो बाहरी दबाव का सामना कर रहा है | अतः सांस्कृतिक विविधता की रक्षा करना बहुसंस्कृतिवाद का ध्येय है |
बहुसंस्कृतिवाद का मानना है कि सांस्कृतिक समुदाय ऐसे समूह है, जिनको व्यक्ति चिंता नहीं है, अपितु स्वयं को उनमें पाता है | संस्थाओं के निर्माण में लोग किसी विशेष हित की इच्छा से एकत्र होते हैं | अत: सांस्कृतिक समुदाय ऐच्छिक संस्थाएं नहीं है | सांस्कृतिक समुदाय की पहचान सांझी भाषा, साझा इतिहास तथा साझी आर्थिक, राजनीतिक तथा सामाजिक संस्थाओं से हो सकती है | प्रत्येक संस्कृति दूसरी संस्कृति से अलग होती है, इसलिए उनकी तुलना नहीं की जा सकती | एक संस्कृति को दूसरी संस्कृति के मूल्यों के आधार पर नहीं समझा जा सकता, क्योंकि प्रत्येक की अपनी अलग पहचान तथा व्यवहार होते हैं | संभव है कि एक संस्कृति प्रौद्योगिक विकास को उत्तम मानती हो, तो दूसरी प्रकृति के साथ सामंजस्य को बेहतर समझती हो |
बहुसंस्कृतिवाद केवल मूल्यों की ही बात नहीं करता, वरन् यह भी बताता है कि किसी व्यक्ति का जीवन उसकी संस्कृति के मूल्यों की रूपरेखा से प्रभावित होता है | प्रत्येक संस्कृति में अपने विशिष्ट मूल्य होते हैं | अल्पसंख्यक संस्कृतियों की भाषाएं, परंपराएं तथा संस्थाएं सुरक्षित रहें, यही बहुसंस्कृतिवाद का प्रयास है |